खाटू श्याम जी की आरती: श्रद्धा और भक्ति का संगम

आरती श्री श्याम जी की

खाटू श्याम जी की आरती के पवित्र शब्दों का अनुभव करें और उनकी महिमा का गुणगान करें। जय श्री श्याम!

खाटू श्याम जी का असली नाम बर्बरीक था, जो महाभारत के पात्र भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे। अपनी भक्ति, शक्ति और त्याग के कारण उन्हें श्रीकृष्ण ने ‘श्याम’ नाम दिया और वरदान दिया कि कलयुग में वे श्याम के नाम से पूजे जाएंगे। खाटू श्याम जी का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु उनकी पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। आइये, हम सब मिलकर खाटू श्याम जी की आरती गाएं और उनकी कृपा से अपने जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाएं।

ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे॥
॥ॐ जय श्री श्याम हरे…॥

रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे।
तन केसरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े॥
॥ॐ जय श्री श्याम हरे…॥

गल पुष्पों की माला, सिर पार मुकुट धरे।
खेवत धूप अग्नि पर दीपक ज्योति जले॥
॥ॐ जय श्री श्याम हरे…॥

मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे।
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे॥
॥ॐ जय श्री श्याम हरे…॥

झांझ कटोरा और घडियावल, शंख मृदंग घुरे।
भक्त आरती गावे, जय – जयकार करे॥
॥ॐ जय श्री श्याम हरे…॥

जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे।
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम – श्याम उचरे॥
॥ॐ जय श्री श्याम हरे…॥

श्री श्याम बिहारी जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत भक्त – जन, मनवांछित फल पावे॥
॥ॐ जय श्री श्याम हरे…॥

जय श्री श्याम हरे, बाबा जी श्री श्याम हरे।
निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे॥

ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे॥



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