औरंगज़ेब द्वारा तुड़वाया गया खाटू श्याम मंदिर: इतिहास की अनसुनी कहानी
खाटू श्याम जी का मंदिर हर भक्त की आस्था का केंद्र है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका मूल मंदिर औरंगज़ेब ने तुड़वा दिया था? पढ़ें पूरी कहानी।
क्या आप जानते हैं कि मुगल शासक औरंगज़ेब ने खाटू में श्याम बाबा के मूल मंदिर को तुड़वाकर वहां एक मस्जिद का निर्माण करवाया था? यह कहानी भारतीय इतिहास के उस हिस्से से जुड़ी है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
आज खाटू श्याम जी का भव्य मंदिर हर श्रद्धालु की आस्था का केंद्र है। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि यह मंदिर औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद बनाया गया था और यह मूल मंदिर नहीं है? आइए, पंडित झाबरमल्ल शर्मा की किताब “खाटू श्यामजी का इतिहास” के आधार पर इस तथ्य को गहराई से समझते हैं।
खाटू श्याम का प्राचीन इतिहास
महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को आशीर्वाद दिया था कि कलियुग में वे “श्याम” नाम से पूजे जाएंगे। बर्बरीक का शीश महाभारत के युद्ध के बाद एक नदी में प्रवाहित हो गया। हजारों वर्षों बाद, यह शीश खाटू क्षेत्र में एक टीले के नीचे दबा पाया गया।
श्याम कुंड के पास मिला शीश:
यह स्थान आज खाटू श्याम कुंड के नाम से जाना जाता है। यहां से प्राप्त शीश को तत्कालीन चौहान राजा ने मंदिर में स्थापित करवाया। “खाटू श्यामजी का इतिहास” के अनुसार, यह मंदिर खाटू के बाजार में स्थित था, और इसके परिक्रमा पथ में एक शिवालय भी था, जो आज भी मौजूद है।
औरंगज़ेब का आक्रमण और मंदिर का विध्वंस
मुगल काल के दौरान, औरंगज़ेब ने अपने शासनकाल में कई मंदिरों को निशाना बनाया। पंडित झाबरमल्ल शर्मा की किताब के अनुसार, औरंगज़ेब ने खाटू में स्थित इस प्राचीन श्याम मंदिर को भी तुड़वाकर वहां एक मस्जिद का निर्माण करवा दिया।
क्या बचा है आज?
इस मस्जिद के पास आज भी वह प्राचीन शिवालय देखा जा सकता है, जो इस बात का प्रमाण है कि यहां कभी एक भव्य मंदिर हुआ करता था।
औरंगज़ेब के बाद मंदिर का पुनर्निर्माण
औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद, 1720 ईस्वी में जोधपुर के राजा अभय सिंह ने श्याम बाबा के मंदिर के पुनर्निर्माण की शुरुआत करवाई। इस नए मंदिर में बाबा श्याम के शीश को स्थापित किया गया, और यही मंदिर आज लाखों भक्तों का आस्था केंद्र है।
क्या है खास आज के मंदिर में?
जो मंदिर आज खाटू में खड़ा है, वह मूल मंदिर नहीं बल्कि जोधपुर के शासक अभय सिंह द्वारा बनवाया गया दूसरा मंदिर है। इसके निर्माण ने खाटू श्याम को वैश्विक पहचान दिलाई और यह स्थान आज भी भक्तों के लिए सबसे पवित्र माना जाता है।
नमन उस गौरवशाली इतिहास को
खाटू श्याम का यह इतिहास यह संदेश देता है कि धर्म और आस्था समय के साथ और भी मजबूत हो जाते हैं। औरंगज़ेब जैसे शासकों ने भले ही मंदिर को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन बाबा श्याम की महिमा और भक्ति को कोई खत्म नहीं कर पाया।
श्रद्धालुओं के लिए यह जानकारी महत्वपूर्ण है कि आज जो मंदिर दिखता है, वह केवल आस्था का नया स्वरूप है, जिसकी नींव इतिहास की मिट्टी में गहरी जमी है।
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