खाटू श्याम के जन्मदिन 2024 पर जानें: किन चीज़ों पर लगी रोक?

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बाबा श्याम के जन्मोत्सव पर खाटू में हर साल लगने वाले दो दिवसीय मेले के लिए प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार निशान ध्वज और आतिशबाजी पर पाबंदी समेत कई नए नियम लागू किए गए हैं।

बाबा श्याम के भक्तों के लिए एक बड़ी खबर है। देवउठनी एकादशी, जो इस साल 12 नवंबर को मनाई जाएगी, के उपलक्ष्य में खाटू नगरी में दो दिवसीय मेले की तैयारियां शुरू हो गई हैं। लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने इस बार कुछ नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

10 फीट से ऊँचे निशान ध्वज पर पाबंदी

इस बार मेले में 10 फीट से ऊँचे निशान ध्वज की बिक्री और उन्हें लेकर यात्रा करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। श्रद्धालुओं को अपने साथ निशान या किसी अन्य सामग्री को मंदिर में ले जाने की अनुमति नहीं होगी। यह निर्णय मंदिर परिसर की सुरक्षा और श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए लिया गया है।

चढ़ावे की सामग्री लाने पर रोक

प्रशासन ने भक्तों को मंदिर में किसी भी प्रकार की चढ़ावे की सामग्री, जैसे प्रसाद, फूल-माला, या अन्य वस्तुएं, ले जाने से मना किया है। भक्त केवल अपनी श्रद्धा और भक्ति से बाबा श्याम के दर्शन कर सकेंगे।

आतिशबाजी पर पूरी तरह से बैन

हर साल श्याम बाबा के जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर होने वाली भारी आतिशबाजी इस बार पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी गई है। यह कदम पर्यावरण संरक्षण और पटाखों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए उठाया गया है। इसके स्थान पर प्रशासन ने श्रद्धालुओं से दीप जलाकर बाबा श्याम का जन्मदिन मनाने की अपील की है।

प्रशासनिक तैयारी जो बनाएगी मेला सुगम

  • सुरक्षा: खाटू नगरी में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया जाएगा।
  • ट्रैफिक व्यवस्था: मेले के दौरान ट्रैफिक जाम से बचने के लिए विशेष रूट प्लान तैयार किया गया है।
  • भक्तों के लिए संदेश: प्रशासन सभी श्रद्धालुओं से अपील करता है कि वे मेले में केवल जरूरी सामान साथ लाएं और सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करें।

खाटू नगरी जाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

  1. निशान ध्वज और चढ़ावे की सामग्री साथ न लाएं।
  2. आतिशबाजी के स्थान पर दीप जलाएं।
  3. प्रशासन द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करें।
  4. भीड़-भाड़ से बचने के लिए सुबह के समय दर्शन का प्रयास करें।

भक्ति और पर्यावरण का संगम

बाबा श्याम का जन्मोत्सव हर साल भक्ति और उल्लास से मनाया जाता है। इस बार प्रशासन का प्रयास है कि यह उत्सव न केवल भक्तों के लिए स्मरणीय बने बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दे।

खाटू नगरी में आने वाले सभी श्रद्धालुओं से निवेदन है कि वे प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें और इस पावन अवसर को शांति और सौहार्द के साथ मनाएं।



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