जीणमाता मंदिर में बत्तीसी संघ और पुजारियों के बीच विवाद, 3 घंटे तक बंद रहे मंदिर के पट

नवरात्र के मौके पर सीकर के जीणमाता मंदिर में दर्शन को लेकर बत्तीसी संघ और पुजारियों के बीच विवाद हो गया। मामला मारपीट तक पहुंचा, जानें क्या हुआ।

सीकर, राजस्थान। चैत्र नवरात्र के अवसर पर राजस्थान के प्रसिद्ध शक्तिपीठ जीणमाता मंदिर में गुरुवार रात उस समय हंगामा हो गया, जब 32 गांवों से जुड़े बत्तीसी संघ के श्रद्धालु और मंदिर के पुजारियों के बीच दर्शन को लेकर विवाद हो गया। यह विवाद उस समय हिंसक हो गया जब बात बहस से बढ़कर मारपीट तक पहुंच गई, जिसके चलते मंदिर प्रशासन को तीन घंटे तक पट बंद करने पड़े।

नवरात्र पर विशेष पूजा के दौरान हुआ टकराव

जानकारी के अनुसार, बत्तीसी संघ के श्रद्धालु परंपरागत रूप से षष्ठी तिथि पर माता को निशान (झंडा) अर्पित करते हैं। इस बार भी सैकड़ों की संख्या में भक्त जीणमाता मंदिर पहुंचे थे। इसी दौरान पुजारियों की संख्या को लेकर संघ के सदस्यों और मंदिर प्रबंधन के बीच विवाद हो गया। बत्तीसी संघ का आरोप है कि पूर्व सहमति के अनुसार मंदिर में केवल 3 पुजारियों की मौजूदगी होनी थी, लेकिन तय संख्या से अधिक पुजारी मौके पर मौजूद थे।

विवाद ने लिया हिंसक रूप, मौके पर पहुंचा प्रशासन

देखते ही देखते मामला इतना बढ़ गया कि दोनों पक्षों के बीच हाथापाई हो गई। लात-घूंसे चले और मंदिर परिसर में अफरा-तफरी मच गई। स्थिति को देखते हुए मंदिर प्रबंधन ने तत्काल मंदिर के पट बंद कर दिए।

घटना की सूचना पर सीकर कलेक्टर मुकुल शर्मा, एसपी भूवन भूषण यादव और दांतारामगढ़ एसडीएम मोनिका सामोर मौके पर पहुंचे और तीनों अधिकारियों ने देर रात तक दोनों पक्षों से बातचीत की। प्रशासन ने मौके पर मौजूद अतिरिक्त पुजारियों को हटवाया और बत्तीसी संघ को शांतिपूर्वक दर्शन करवाने का आश्वासन दिया।

बत्तीसी संघ का दावा: मंदिर पर है पारंपरिक अधिकार

बत्तीसी संघ सीकर जिले के 32 गांवों से बना एक धार्मिक संगठन है। संघ का दावा है कि मंदिर की पूजा-अर्चना और प्रमुख धार्मिक रस्मों पर उनका पारंपरिक अधिकार है। स्थानीय श्रद्धालु खुद को मां जीण भवानी का वंशज मानते हैं और हर साल जीणमाता मेले में मुख्य भूमिका निभाते हैं, जिसमें माता को चुनरी चढ़ाने की रस्म भी शामिल है।

संघ का कहना है कि वे वर्षों से मंदिर में निशान अर्पित करते आ रहे हैं और हर बार प्रशासन के साथ बैठक कर कार्यक्रम को सुचारु रूप से संपन्न कराते हैं। इस बार भी बैठक में यह तय हुआ था कि मंदिर में बत्तीसी संघ के दौरान केवल तीन पुजारी उपस्थित रहेंगे, लेकिन ट्रस्ट की ओर से इस नियम का उल्लंघन हुआ।

प्रशासन ने दिलाई शांति, पट खोले गए

प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद करीब तीन घंटे तक बंद रहे मंदिर के पट देर रात दोबारा खोले गए। अधिकारियों ने दोनों पक्षों को शांति बनाए रखने का निर्देश दिया और भविष्य में ऐसे विवाद से बचने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तय करने की बात कही है।

इस घटनाक्रम के बाद श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों में चर्चा है कि धार्मिक स्थलों पर पारंपरिक अधिकारों और व्यवस्थाओं के बीच संतुलन बनाए रखना प्रशासन और ट्रस्ट दोनों की जिम्मेदारी है।



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