खाटू श्याम जी की यात्रा – एक आध्यात्मिक सफर दोस्तों संग

नोएडा से खाटू श्याम जी की यात्रा – रात की रोड ट्रिप, भक्ति और बाबा के दिव्य दर्शन की एक सजीव झलक।
कुछ यात्राएँ सिर्फ दूरी तय करने के लिए नहीं होतीं, वो होती हैं आत्मा को छूने के लिए। हमारी खाटू श्याम यात्रा कुछ ऐसी ही रही — एक छोटी सी रोड ट्रिप जो दिल को छू गई, और आत्मा तक पहुंच गई।
शुक्रवार की शाम और एक खास प्लान
हर हफ़्ते की तरह इस शुक्रवार को भी ऑफिस खत्म होते ही एक राहत की सांस ली। लेकिन इस बार राहत के साथ एक योजना भी तैयार थी — खाटू श्याम जी के दरबार में हाज़िरी लगाने की।
हम 5 दोस्त थे — कुछ पहले भी जा चुके थे, तो कुछ पहली बार इस चमत्कारी धाम के दर्शन को निकले थे। लगभग रात 10 बजे, नोएडा से निकलना तय हुआ। हल्की बारिश हो चुकी थी, मौसम में थोड़ी ठंडक और बहुत सुकून था। हमारी गाड़ी ने कालिंदी कुंज होते हुए मुंबई एक्सप्रेसवे पकड़ लिया — करीब 300 किलोमीटर का सफर सामने था।
रास्ते की हलचलें और खामोशी
शुरुआत में तो सब कुछ मज़ेदार था — गाने, बातें, हँसी। लेकिन नया हाईवे और रात का समय, पानी लेने के लिए कुछ ढूंढना थोड़ा टेढ़ी खीर हो गया। काफी आगे जाकर एक टोल प्लाज़ा के पास पानी मिला और फिर सफर दोबारा रफ्तार पकड़ गया।
रात के लगभग 3 बजे, हम खाटू पहुँच गए। क्या नज़ारा था!
रात का समय और फिर भी जगह-जगह रोशनी, भक्तों की हलचल, हाथों में निशान लेकर चलते श्रद्धालु — मानो ये रात किसी उत्सव में बदल गई हो।
एक छोटी सी नींद, एक बड़ी सी भक्ति
थोड़ी थकान हो चुकी थी, तो हमने खाटू में एक छोटा सा होटल लिया, जहाँ 2 AC रूम हमें थोड़ी मोल-भाव के बाद ₹1500 में मिल गए। दो घंटे की नींद के बाद, सुबह 5:30 बजे बाबा के दर्शन के लिए निकल पड़े।
दर्शन का दिव्य अनुभव
तोरण द्वार पर पहुँचते ही मन में एक अलग ही ऊर्जा थी। हमने कुछ तस्वीरें लीं, बाबा के लिए प्रसाद खरीदा और दर्शन की लाइन में लग गए।
भीड़ थी, लेकिन अनुशासन भी।
श्रृंगार और आरती का समय चल रहा था। बाबा को फूल बहुत प्रिय हैं — और वो रंग-बिरंगे फूलों से सजा उनका श्रृंगार… बस आँखें झुकाने का मन ही नहीं कर रहा था।
जब हमारी बारी आई, तो हमारी आँखें और दिल दोनों भर आए। वो क्षण कुछ पलों के थे, लेकिन अनुभव ऐसा जैसे पूरी ज़िंदगी को कोई जवाब मिल गया हो।
बाजार की चहल-पहल और यादें
दर्शन के बाद हमने खाटू के बाजार में घूमना शुरू किया। घर के लिए कुछ यादगारें खरीदीं। कढ़ी-कचौरी का स्वाद ऐसा लगा जैसे स्वाद और भक्ति दोनों ने मिलकर प्रसाद बना दिया हो।
गर्मी थोड़ी ज़्यादा थी, तो हमारे एक दोस्त की तबीयत हल्की सी बिगड़ गई, लेकिन पास ही दवा मिल गई और सब ठीक हो गया।
वापसी और बाबा का आशीर्वाद
दोपहर होते-होते हम फिर तोरण द्वार के पास अपनी गाड़ी की तरफ लौटे। दिल भर गया था, लेकिन बाबा का दरबार छोड़ने का मन नहीं हो रहा था।
शाम तक हम घर वापस आ गए — लेकिन हमारी आत्मा अब भी वहीं थी, बाबा के दरबार में।
खाटू श्याम यात्रा से क्या सीखा?
- रात के समय हाईवे पर पानी और जरूरत की चीज़ें मिलना मुश्किल हो सकता है — पहले से तैयारी रखें।
- खाटू में होटल मिल जाते हैं, लेकिन भीड़ के समय बुकिंग पहले कराना बेहतर।
- दर्शन के समय फूलों का प्रसाद ज़रूर लें, बाबा को विशेष प्रिय है।
- गर्मी के मौसम में पानी और दवाइयों का ध्यान रखें।
अंत में…
खाटू श्याम जी का दरबार आपको बुला रहा है।
अगर आप इस लेख को पढ़ते हुए थोड़ी सी शांति, थोड़ा सा सुकून और कुछ अपनापन महसूस कर पाए हैं, तो समझिए बाबा ने आपको भी बुलावा भेज दिया है।
जय श्री श्याम 🙏
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